चलिए जानते है इसके कुछ मुख्य कारण : जेल बाईपास और मेडिकल कॉलेज रोड पर 350 रुपये प्रति किलो की दर से मीट की बिक्री हो रही है। जेल रोड पर एक बिक्रेता चांद ने बताया कि बिहार के मधुबनी से मंगाई जा रही इस बकरी का वजन 18 से 20 किलो तक है।
Latest News Gorakhpur: वैसे तो गोरखपुर शहर में बकरे के मीट की कीमत 650 से 700 रुपये प्रति किलो तक है, लेकिन शहर के कई इलाकों में 350 रुपये प्रति किलो की दर से भी बकरे का मीट बिक रहा है। आधी कीमत पर बिक रहे मीट खरीदार भी कम नहीं है। लोग चौंक रहे कि आखिर बकरे की मीट सस्ता क्यो है? क्या यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?
गोरखपुर शहर के असुरन, जेल बाईपास और मेडिकल कॉलेज रोड पर 350 रुपये प्रति किलो की दर से मीट की बिक्री हो रही है। जेल रोड पर एक बिक्रेता चांद ने बताया कि बिहार के मधुबनी से मंगाई जा रही इस बकरी का वजन 18 से 20 किलो तक है। इसकी कीमत 2000 से लेकर 2500 रुपये बीच है। बाजार के जानकार बताते हैं कि इन दुकानों पर बकरी पालन में बेकार और बूढ़ी बकरियों का मीट भी बिक रहा है। बकरी पालन कारोबार से जुड़े जीतन जायसवाल का कहना है कि ‘बकरी पालन में 4 से 5 साल बाद बकरी हमारे काम की नहीं रह जाती हैं। 1000 से 1500 में इन बकरियों को बेच देते हैं।’
गोरखपुर के कुसम्ही, सहजनवा, पीपीगंज, भटहट आदि इलाकों में 25 से अधिक लोग बकरी पालन कर रहे हैं। भटहट में बकरी पालन करने वाले राकेश का कहना है कि पोल्ट्री फार्म की तुलना में इसमें कमाई अच्छी हो रही है। ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरों की सर्वाधिक डिमांड है। यह बकरा 10 से 12 किलो तक का होता है। वर्तमान में 100 पशु हैं।
पकने में होती है दिक्कत :
मीट को खरीद रहे संतोष ने बताया कि मीट को पकने में समय लग रहा है। बाकी कोई दिक्कत नहीं है। वहीं पशु चिकित्सक डॉ. एस श्रीवास्तव का कहना है कि मीट से पहले सिर्फ बस देखना होगा कि पशु बीमार नहीं होना चाहिए। बाराबांकी से लेकर बिहार बॉर्डर तक के जिलों के बकरे की सर्वाधिक डिमांड होती है। वहीं बरबरी और कालपी श्रेणी के बकरों की भी मांग अपेक्षाकृत कम है। शौकीन बताते हैं कि कानपुर से आगे पश्चिम के जिलों के बकरों को कम पसंद किया जाता है।
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