100 साल तक बंद थी सुरंग, हिम्मत कर अंदर घुसा आदमी, बाहर निकलते ही बदल गई किस्मत

 धरती के गर्भ में काफी रहस्‍यमयी चीजें छुपी हुई हैं.जब इंसान उन चीजों तक पहुंचता है तो चक‍ित कर देने वाले खुलासे होते हैं. इटली के शहर मैपल्‍स में भी कुछ ऐसा ही हुआ. एक आदमी अपने घर के पास खदानों की जांच कर रहा था, तभी उन्‍हें एक दरवाजा नजर आया. काफी हिम्‍मत कर अंदर घुसे तो जो नजारा था, उससे देख कर उसका दिमाग हिल गया. धरती से 150 मीटर नीचे 'खजाना' छिपा हुआ था. एक ऐसा खजाना, जिसकी बदौलत उनकी क‍िस्‍मत चमक गई और लोगों को एक नई दुनिया दीदार करने का मौका मिला. आज इसे देखने के ल‍िए हजारों पर्यटक हर साल जाते हैं.


कहानी इटली के सबसे प्राचीन शहर मैपल्‍स की है. आमतौर पर यहां के लोग अपने घरों के नीचे रोमन खजाने की तलाश करते रहते हैं. उन्‍हें लगता है क‍ि कोई न कोई कुंड होगा, कोई खजाना होगा, या फ‍िर ऐत‍िहास‍िक कलाकृत‍ियां मिल जाएंगी. यहां के लोग इन चीजों के आदी हैं क्‍योंकि बहुत सारे लोगों को ऐसी चीजें मिलती रहीं हैं. कई लोगों की तो इनकी वजह से क‍िस्‍मत तक बदल गई है.

मगर 2012 में कुछ अप्रत्‍याश‍ित मिला. सरकारी भूविज्ञानी अपने पड़ोस में कुछ सुरंगों की जांच कर रहे थे. तभी उन्‍हें एक शख्‍स ने इसके बारे में बताया. छानबीन में सुरंग दिखी, जो सैंकड़ों साल तक बंद थी. मगर अंदर उन्‍हें जो दिखा, वो हैरान करने वाला था.


100 सालो तक बंद इस सुरंग के अंदर विंटेज कारें और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस्‍तेमाल की गई चीजों के अवशेष भरे हुए थे. इमारत का मलबा, पुराने टीवी सेट और रेफ्रिजरेटर, नष्ट हुई कारें और मोटरसाइकिलें रखी हुई थीं. जब छानबीन की तो पता चला क‍ि 1853 में सिसिली के तत्कालीन राजा बोरबॉन के फर्डिनेंड द्वितीय ने इसे बनवाया था. इसे आज गैलेरिया बोरबॉनिका के नाम से जाना जाता है.

बोरबॉन इतने डरे हुए थे क‍ि उन्‍होंने धरती के 150 मीटर नीचे इसे बनवाया, ताकि अगर कोई दुश्मन हमला करे तो इसके जर‍िये भागा जा सके. क्‍योंकि 1816 के बाद से बोरबॉन शासन के खिलाफ तीन क्रांतियां हो चुकी थीं. 1848 में तो बहुत ही हिंसक क्रांति हुई थी, जब क्रांतिकारियों ने 16 महीने तक राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था.

1849 में सत्ता में वापस आने के बाद फर्डिनेंड द्वितीय ने जल्दबाजी में नया संविधान लिखा और फिर से विद्रोह होने की स्‍थ‍ित‍ि में सुरक्षित पलायन की योजना बनाई. उसी वक्‍त सुरंग की कल्‍पना की गई, ताकि रॉयल पैलेस से भागा जा सके. यह सुरंग रॉयल पैलेस को उस सैन्य बैरक से जोड़ती थी जो अब वाया मोरेली है.

1930 के दशक में इन सुरंगों का उपयोग जब्‍त वाहनों को रखने के ल‍िए क‍िया जाने लगा और फ‍िर सब भूल गए. द्वितीय विश्व युद्ध के समय इसे सुरक्ष‍ित बैरक के रूप में इस्‍तेमाल किया गया. हवाई हमले से बचने के ल‍िए लोग इनमें जाकर छिप जाया करते थे. लेकिन 2012 में इसके बारे में तब पता चला जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरार जीवित बचे और इन सुरंगों में जीवन गुजार चुके टोनिनो पर्सिको ने एक भू व‍िज्ञानी जियानलुका मिनिन से संपर्क किया. उसके बाद उनकी क‍िस्‍मत बदल गई. उन्‍होंने लोगों को एक नई दुन‍िया द‍िखाई.

जियानलुका उस वक्‍त बाकी सुरंगों की खुदाई का नेतृत्व कर रहे थे, ताकि वहां देखा जा सके क‍ि कहीं बम तो नहीं रखे हैं. क्‍योंकि युद्ध के दौरान ऐसे बम कई जगह छिपाए गए थे. जियानलुका और उनकी टीम को मलबे की सफाई करने में तीन साल लग गए. दिसंबर 2015 में इसे एक शानदार संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया. 

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